Heeramandi
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हीरामंडी लाहौर की एक जगह है। जिस पर संजय लीला भंसाली फ़िल्म बना रहे है। यह फ़िल्म वेब सीरीज में सबसे मनपसन्द ओर दर्शकों को काफी पसंद आगेगी।
आप को आलिया भट्ट की फ़िल्म स्टार 'गंगू बाई काढियावाड़ी' की सफलता के बाद अगले प्रोजेक्ट 'हीरामंडी
की शूटिंग शरू कर दी है। भले ही वह वेब सीरीज के डायरेक्टर नही होगे पर वह पॉड्यूस करेंगे।संजय जी इस फिल्म से काफी एक्साइटेड है। सूत्रों के अनुसार 'हीरामंडी' शूटिंग वही हो रही है जहाँ पर फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी'
सेट लगा हुआ था।
हीरामंडी को लेकर संजय जी जल्द से जल्द इस प्रोजेक्ट को पूरा करके सिनेमाघरों में आग लगा देना चाहते है। जिसमे कास्ट की बात की जाय तो सोनाक्षी सिन्हा, हुमा कुरैशी, मनीषा कोइराला, सयानी गुप्ता ओर निमरत कौर मुख्य भूमिका में नजर आएंगे।
हीरामंडी लाहौर की गलियों में बड़े बड़े लोग आते थे,
हीरामंडी में बड़े बड़े लोग महफ़िल ओर मनोरंजन के लिए कोठो पर आते थे। जिसका इतिहास पुराना है। जिसे रेडलाइट एरिया से भी जाना जाते है। इतना ही नही बल्कि इस मंडी में हीरे,जेवरात भी बिकते थे। इस लिए इसे हीरामंडी कहा जाने लगा। पहले समय मे यहा अनाज की मंडी थी पर तवायफों को रहने की जगह दी और बाद में यह मनोरंजन और आने जाने से चहल पहल बढ़ी ओर यह मशहूर हो गई।
मुगलकाल का इतिहास:
मुगलकाल में अफदानिस्तान ओर ब्जेकिस्तान जैसी जगह से यहा पर औरते इस मंडी में लाया जाता था।
मुगलकाल में संगीत, नृत्य, ओर कला से जुड़ी हुई थी। विदेशियों के बार बार आक्रमण से शाही मोहल्ले में बसे तवेफखानो को उजाड़ जाने लगा। इसके बाद धीरे धीरे यहा वेश्यावृत्ति पनपने लगी और अब वो समय भी आ चुका है कि किन्नरों का डांस देखा जाता है।
मुजरा करने वाली जिस्म नही बेचा करती:
हीरामंडी की कहानी की तरह हीरामंडी में रहने वालीयो की भी कहानी है। लाहौर में बादशाही मस्जिद के करीब है हीरामंडी.
हीरामंडी का इतिहास बहोत पुराना है, लेकिन इस मंडी पर जवानी आई मुगलकाल में;
मुगलकाल काल मे हीरामंडी की गलियों में सुरों की महफ़िल सजती ओर शहर के शौकीन लोग को मंडी ओर खींच लाती थी। हीरामंडी के आसपास के बाजार में रात को भी दिन की तरह हराभरा कर देने वाला सुर हीरामंडी में गूँजता था।
एक खास बात उस जमाने मे ये थी कि हीरामंडी में जिस्म का सौदा इन बाजारों में नही होता था। जिस्म का सौदकरने वाली वेश्या अलग हुए करती थी ओर नाचने-गाने वाली अलग।
इन कोठो पर बचपन से ही लड़कियो को रियाज कराया जाता था। फिर वो गाना शरू करती थी। उन्हें शायरी ओर संगीत की तालीम दी जाती थी।
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